भारत की सबसे ताकतवर सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस अब और आधुनिक रूप लेने जा रही है. ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने उत्पादन क्षमता बढ़ाने और निर्यात को तेज करने की बड़ी तैयारी शुरू कर दी है. सूत्रों के मुताबिक नई ब्रह्मोस-एनजी (नेक्स्ट जेनरेशन) मिसाइल 2026 तक टेस्टिंग चरण में पहुंच सकती है. खास बात यह है कि रूस ने भी इसे अपनी सेना में शामिल करने की इच्छा जताई है.
कंपनी के डिप्टी सीईओ चिलुकोटी चंद्रशेखर ने बताया कि भारत और रूस मिलकर मिसाइल की लागत घटाने पर काम कर रहे हैं. इसके लिए फैक्ट्रियों की क्षमता बढ़ाई जा रही है. उन्होंने यह भी संकेत दिए कि रूस अपनी सेनाओं के लिए ब्रह्मोस खरीद सकता है. ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की मारक क्षमता और सटीकता ने रूस को भी इस मिसाइल को लेने के लिए प्रेरित किया है.
25 सालों में 1,000 ब्रह्मोस मिसाइलें बनी
पिछले 25 सालों में केवल 1,000 ब्रह्मोस मिसाइलें बनी हैं. यानी औसतन हर साल सिर्फ 25 यूनिट. यही वजह है कि इसकी लागत ज्यादा रही है. अब उत्पादन बढ़ने से दाम घटेंगे और ज्यादा देशों को मिसाइल बेची जा सकेगी.
ब्रह्मोस-एनजी क्यों खास है?
- नई ब्रह्मोस-एनजी मौजूदा ब्रह्मोस से हल्की और छोटी होगी.
- स्टैंडर्ड ब्रह्मोस का वजन 3,000 किलो है, जबकि एनजी 1,250 किलो से कम होगी.
- हल्की होने के कारण यह LCA तेजस और MiG-29 जैसे हल्के लड़ाकू विमानों से भी दागी जा सकेगी.
- यह 300 किमी तक के लक्ष्य पर बेहद सटीक वार कर सकेगी.
- इसे जमीन, हवा और समुद्र तीनों जगह से लॉन्च किया जा सकेगा. साथ ही पनडुब्बी से दागने का विकल्प भी जोड़ा जा रहा है.
अंतरराष्ट्रीय मांग
मई 2025 में हुए ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की ताकत ने दुनिया को प्रभावित किया. इसके बाद से 14 देशों ने इसमें रुचि दिखाई है. हालांकि फिलीपींस ने पहले ही भारत से चीन के एग्रेशन को काउंटर करने के लिए अपनी नेवी के लिए ब्रह्मोस मिसाइल खरीदी है.
नया इंजन और तकनीक
ब्रह्मोस-एनजी के लिए रूस की कंपनी NPO Mashinostroeyenia एक नया रैमजेट इंजन बना रही है. इससे मिसाइल हल्की होने के बावजूद उतनी ही तेज और घातक रहेगी.
भारत ने 2011 में ब्रह्मोस-एनजी की योजना बनाई थी, लेकिन असली विकास 2017 से शुरू हुआ. अब मिसाइल की टेस्टिंग नजदीक है. इसके आने से भारतीय वायुसेना को हल्के, तेज़ और घातक हथियार मिलेंगे, जो भारत की रक्षा नीति को सिर्फ सुरक्षा से आगे बढ़ाकर मजबूत प्रतिरोधक क्षमता देंगे. यानी आने वाले सालों में ब्रह्मोस-एनजी भारत की रक्षा ताकत को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी और इसे दुनिया के बड़े हथियार निर्यातकों की कतार में खड़ा कर देगी.