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नागरिकता से पहले वोटर लिस्ट में सोनिया गांधी का नाम… कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया. सोनिया गांधी ने कथित तौर पर जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके भारतीय नागरिकता हासिल करने से तीन साल पहले 1980 की मतदाता सूची में अपना नाम जुड़वाया था. दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने विकास त्रिपाठी द्वारा दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें सोनिया गांधी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की मांग की गई थी.

त्रिपाठी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पवन नारंग ने दलील दी कि मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने से पहले भारतीय नागरिक होने की सीमा पार करनी होगी. उन्होंने कहा कि मतदाता बनने के लिए सबसे पहले यह सत्यापित करना होगा कि व्यक्ति भारत का नागरिक है या नहीं.

उन्होंने कहा कि सबसे पहले आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आप भारत के नागरिक हैं… यह पहली सीमा है. नागरिक होने के बाद, एक और सीमा यह है कि अगर मैं मतदाता बनना चाहता हूं, तो निवास का प्रमाण पत्र आवश्यक है.

सोनिया गांधी के मामले की कोर्ट में हुई सुनवाई

उन्होंने कहा किआज, चुनाव आयोग के अनुसार, भले ही 12वीं कक्षा का प्रमाण पत्र एक वैध प्रमाण हो, लेकिन उस समय पैन या आधार कार्ड नहीं था. पासपोर्ट या राशन कार्ड ही होता था. हम यह कह रहे हैं कि उसे भारतीय नागरिक होने की सीमा पार करनी होगी.

नारंग ने तब कहा कि गांधी का नाम बाद में 1982 की मतदाता सूची से हटा दिया गया था. उन्होंने कहा, “1982 में उनका नाम हटाए जाने का क्या कारण था? चुनाव आयोग को कुछ ऐसा मिला जिसके कारण उनका नाम हटाया गया. उस समय, केवल दो नाम हटाए गए थे. एक संजय गांधी का था, जिनका 1981 में निधन हो गया था और दूसरा नाम उनका था.

वह अभी भी वहीं रह रही थीं. उनका नाम क्यों हटाया गया? क्योंकि उन्हें एहसास हुआ कि कुछ झूठे दस्तावेज़ बनाए और दिए गए हैं. इस पर हंगामा हुआ और इसलिए सबसे अच्छा यही होगा कि इसे हटा दिया जाए.

कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

कुछ दलीलों के बाद, अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया. सोनिया गांधी की ओर से कोई भी पेश नहीं हुआ. त्रिपाठी का कहना है कि गांधी का नाम 1980 में नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल किया गया था, जबकि उन्हें 1983 में भारतीय नागरिकता मिली थी.

उनका कहना है कि सोनिया गांधी का नाम 1982 में मतदाता सूची से हटा दिया गया था और 1983 में फिर से दर्ज किया गया था. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता ने मतदाता सूची में अपना नाम शामिल करने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया, वकील ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की.